आप तो तब भी मेरे ही थे
आर्यन 34
आप तो तब भी मेरे थे
अब तक आपने पढ़ा श्लोक जी असली वसीयत की बारे में बताते हैं आर्यन एम आर के बारे में पता करने के लिए कहता है और एक चिप देता है जीनी की लोकेशन पता करने के लिए
अब आगे
आर्यन बाथरूम से बाहर आता है और शीशे में अपना अक्स देखते हुए खुद से ही कहता है "तुमने मेरे वजूद मेरी रूह को दर्द देने की कोशिश की है रणविजय मित्तल, तुम्हे अपने वजूद पर अफसोस ना करवाया, तो मैं अपनी मोहब्बत से इंकार कर दूंगा"
श्लोक जी के कमरे में
एक मेड खाना लेकर आती है, और वहीं टेबल पर रखके चली जाती है, रंजना जी जो बहुत देर से शीशे में खुद को निहार रही थी, वो उठकर बालकनी में चली जाती हैं
उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, आंखे बिलकुल खाली थी , श्लोक जी उनको बहुत देर से देख रहे थे, वो भी जाके उनके बगल में खड़े हो जाते हैं,
रंजना जी कहीं दूर देखते हुए कहती हैं "मुझे तलाक चाहिए" उनकी बात सुन श्लोक जी को एक झटका सा लगता है , वो असमंजस में रंजना जी को देखते हुए कहते हैं "तुम ये क्या कह रही हो,तुम जानती भी हो?"
रंजना जी वैसे ही कहती हैं "मैं सही कह रही हूं, मैं आपके ला.." श्लोक जी उनकी बात काटते हुए कहते हैं "और ये तय करने वाली तुम होती कौन हो,भूलो मत तुम्हे मै ब्याह कर लाया था, तुम मेरे लायक हो या नहीं ये मैं तय करूंगा तुम नहीं"
रंजना जी उन्हें समझाने की कोशिश करते हुए कहती हैं "आप मेरी बात क्यूं नहीं समझते,मेरे शरीर पर अब किसी और के निशान हैं, मैं मैली होगई हूं"
श्लोक जी कुछ पल उन्हें देखते हैं, फिर कहते हैं "तुम्हारी रूह पर किसका अधिकार है रंजना, तुम मेरी पत्नी हो"
फिर थोड़ा अफसोस के साथ कहते हैं "जो तुमने महसूस किया है इन सालों में उस दर्द उस तकलीफ का अंदाज़ा मैं कभी नहीं लगा सकता हूं, लेकिन मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं इसका अंदाज़ा तुमने लगाने की कोशिश भी नहीं की, और किसने कहा की तुम मैली हो गई हो, गंगा में अपने पाप धो लेने से अगर गंगा मैली हो जाति तो लोग वहां अपने पाप धोने नहीं जाते"
श्लोक जी उनकी तरफ बढ़ते हुए कहते हैं "अगर तुम्हे फिर भी लगता है की तुम्हारे जिस्म पर किसी और के निशान हैं,तो आज मैं तुम्हें बताता हूं की तुम किसकी हो और तुम पर मैं अपने प्यार की मोहर लगा देता हूं, फिर एक बार"
इतना कहकर श्लोक जी रंजना जी को दीवार से लगा देते हैं और जैसे ही किस करने वाले होते हैं, रंजना जी अपनी नम आंखों से उन्हे देखते हुए कहती हैं "प्लीज़ ऐसा मत करिए"
श्लोक जी उनकी आंखो में देखते हुए कहते हैं "मैं प्यार करता हूं तुमसे, तुम कल भी पवित्र थी, और आज भी हो"
इतना कहकर श्लोक जी उन्हें किस करने लगते हैं, रंजना जी उनसे छूटने की कोशिश करती हैं, लेकिन वो बहुत कमज़ोर थीं
श्लोक जी उनसे कितना प्यार करते थे , और कितनी इज्जत करते थे, वो आज उन्हें बता रहे थे,
ये रात किसी के मिलन की रात थी, तो किसी की जुदाई की आर्यन गैलरी में बैठा अपने फोन को घूरे जा रहा था, शायद वो किसी का इंतज़ार कर रहा था, तभी कोई उसका दरवाज़ा नॉक करता है
आर्यन दरवाज़ा खोलता है तो सामने नील खड़ा था, और उसके हाथ में एक लाल रंग की फाइल थी वो बिना कुछ कहे रास्ता छोड़ देता है , नील अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है
आर्यन उसके सामने बैठता है और बोलने के लिए कहता है, नील एक लंबी सांस लेता है फिर कहता है
"एम आर का पूरा नाम रणविजय मित्तल है, बिज़नेस में आपकी राइवल कंपनी का मालिक है, रिकॉर्ड साफ है कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है"
आर्यन फिर कहता है और कुछ , तो नील ना में सिर हिला देता है, फिर कुछ याद करके कहता है "उसकी आपसे शायद कोई पर्सनल दुश्मनी है, क्योंकि मुझे पता चला है की कुछ वक्त से वो आप पर नज़र रख रहा था"
आर्यन कुछ नहीं कहता है, वो नील की तरफ एक फाइल बढ़ा देता है और कहता है "नील तुम्हे मैंने हमेशा भाई जैसा माना है,लेकिन आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूं"
नील आज पहली बार आर्यन को इतना उदास देख रहा था, वो कहता है "आपने बहुत कुछ किया है मिस्टर खन्ना मेरे लिए , जब सबने छोड़ दिया था आपने मुझे काम दिया , मेरी इतनी मदद की आप बस हुकुम कर दीजिए"
आर्यन एक नज़र उसे देखता है फिर कहता है "इस फाइल में एक नंबर है, उसपर कॉल कर लेना, और हां अगर मुझे कुछ होता है तो मेरे परिवार को दिल्ली पहुंचा देना , और सारी प्रॉपर्टी जीनी के नाम कर दी है, लेकिन ये तब होगा जब मुझे कुछ होगा उससे पहले ये मेरे नाम ही रहेगी"
आर्यन की बात सुन नील हां में सिर हिला देता है , और कुछ देर बात करने के बाद नील वहां से चला जाता है , और आर्यन बेड पर लेट जाता है
दूसरी तरफ जंगल में
जीनी बैठे बैठे सो गई थी, तभी उसके ऊपर ढेर सारा ठंडा पानी गिरता है जिसके कारण वो चौंक कर उठती है तो देखती है, सामने एक बाहुबली जैसा लंबा और थोड़ा आदमी खड़ा था
वो जीनी को एक नज़र देखता है, फिर वहां से चला जाता है, जीनी इस वक्त ठंड से कांप रही थी
एक तो ठंडा मौसम उसपर से ठंडा पानी, जीनी का पूरा शरीर लाल पड़ गया था, जीनी कांपते हुए खुद से कहती है "अब आ जाइए आर्यन जी, कहीं ऐसा ना हो आपको देखे बिना ये जान ही निकल जाए"
तभी वहां रणविजय आता है और उसी के साथ 4 लोग और थे, जो जीनी को ऊपर से नीचे तक ध्यान से देख रहे थे , एक तो साड़ी ऊपर से उसका भीगा हुआ शरीर , और हल्की लाली , उसे देख किसी की भी नियत खराब हो जाए,
वो चारों आदमी बस उसे घूरे जा रहे थे , जीनी को उनकी नज़रें अच्छी नहीं लग रही थी, तभी उन चारों में से एक आदमी जिसकी उम्र करीब 28/29 साल होगी
वो जीनी के गोल गोल घूमकर देखते हुए कहता है "लड़की तो अच्छी है, लेकिन क्या कुंवारी है"
उसकी बात सुन रणविजय जीनी को घूरते हुए कहता है "जवाब दो, क्या जीजा सा ने तुम्हें" उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान थी
जीनी उसे अपनी नम आंखों से देखते हुए कहती है "मुझे आपको अपना भाई कहते हुए भी शर्म आती है, भाई तो अपनी बहन की रक्षा के लिए क्या नही करते और आप , आप मुझसे छी....मुझे तरस आता है खुदपर की मैं आप जैसे इंसान की बहन हूं"
जीनी की बात सुन रणविजय को गुस्सा आ जाता है , वो गुस्से में खींच कर एक थप्पड़ जीनी को मारता है , जिससे जीनी का चहरा एक तरफ झुक जाता है
तभी उन चारों में से एक आदमी कहता है "अगर कुंवारी है, तो इसकी कीमत ज़्यादा मिलेगी"
रणविजय फिर उससे पूछता है "क्या तुम कुंवारी हो" लेकिन जीनी इस बार भी जवाब नहीं देती है, तो रणविजय उसे एक थप्पड़ और मरता है , जिससे जीनी के होंठो से खून निकलने लगता है
रणविजय उसे फिरसे मारने वाला होता है तभी जो आदमी जीनी को घूम घूम कर देख रह था वो कहता है "क्यों इसकी शकल खराब कर रहे हो मिस्टर मित्तल , तुम सब बाहर जाओ मैं खुद पता लगा लूंगा, की ये कुंवारी है या नहीं"
उसकी आंखो में हवस जीनी साफ महसूस कर पा रही थी, वो आदमी उसकी तरफ बढ़ता तभी जीनी अपनी नजरें झुका लेती है और कहती है "जो लड़की शादी शुदा हो, और उसका पति उससे और वो अपने पति से बेइंतेहां मोहब्बत करती हो, उसे सोच भी कैसे लिया तुमने की वो कुंवारी हो सकती है , लेकिन एक बात कहूं भाईसा मुझे उनके सिवा कोई नहीं छू सकता, क्योंकि जीनी सिर्फ आर्यन की थी, है , और रहेगी"
तभी वो आदमी उसके बाल पकड़ लेता है, और उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए कहता है "बहुत भरोसा है , तुझे अपनी मोहब्बत पर, मानना पड़ेगा तुझपे कोई क्यों ना अपनी जान दें, बहुत खूबसूरत लड़कियां देखी हैं, लेकिन तुझमें कुछ तो बात है, चल देखते हैं तुझे तेरा वो पति बचा पाता है या नहीं"
रणविजय बस बगल में खड़ा एक तिरछी मुस्कान के साथ जीनी को देख रहा था, वो चारों उसे देख वहां से चले जाते हैं, जीनी खुद से ही रोते हुए कहती है "आज मेरी खुबसूरती ही मेरी दुश्मन बन गई, काश मैं खूबसूरत नहीं होती, आप तो फिर भी मेरे ही थे"
और रोने लगती है, उसके चेहरे पर रणविजय की उंगलियों के निशान अब भी थे......
आर्यन का घर
आर्यन को अजीब सी बेचैनी हो रही थी, वो उठ कर बैठ जाता है और बाहर देखते हुए कहता है "ये तुमने ठीक नहीं किया रणविजय, तुम्हे अंदाज़ा भी नहीं की जिसे तुमने चोट दी है, उसके जिस्म पर लगने वाले घाव आर्यन के दिल पर लगते हैं"
उसकी आंखो में खून उतर आया था, आज अगर उसके सामने रणविजय आ जाता तो आर्यन शायद अपनी आंखो से ही उसे राख कर देता तभी उसका फोन बजता है, ये एक मेसेज था, आर्यन अपना फोन देखता है, और जल्दी से कमरे से बाहर निकल जाता है.......
आर्यन को कैसे महसूस होगया की जीनी को चोट पहुंची है? क्या आर्यन वक्त रहते जीनी को बचा पाएगा? क्या जीनी दुबारा आर्यन से मिल पायेगी? क्या मोड़ लेने वाली है कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए आर्यन इश्क की अनोखी दास्तां मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए टाटा
वानी
Abhilasha Deshpande
04-Jul-2023 07:38 PM
Awesome story
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Babita patel
04-Jul-2023 07:22 PM
Nice
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अदिति झा
20-Jun-2023 06:04 PM
Nice one
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